gwalior me ghumne ki jagah > ग्वालियर, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है और यह भोपाल, इंदौर, और जबलपुर के बाद चौथा सबसे प्रसिद्ध शहर माना जाता है। मध्य प्रदेश के लिए ग्वालियर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यहां एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है, जहां कई बड़े मैच आयोजित होते हैं।
इसके अलावा, ग्वालियर में कई प्राचीन महल और मंदिर हैं, जो पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किए गए हैं। यह शहर भोपाल से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, ग्वालियर का निर्माण आठवीं शताब्दी में राजा सूरज सेन द्वारा किया गया था।
ग्वालियर में संगीत के महान उस्ताद तानसेन का मकबरा है, जो अकबर के नवरत्नों में से एक थे। साथ ही, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद भी इसी शहर से थे। इन सबके अलावा, ग्वालियर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के लिए प्रसिद्ध है।
1. ग्वालियर किला (Gwalior Fort) – gwalior me ghumne ki jagah
ग्वालियर का किला भारत के बड़े किलों में से एक है, जिसका निर्माण छठी शताब्दी में सूरत सेन ने करवाया था। यह किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जैसा कि अधिकांश किले होते हैं। यहां से आप पूरे ग्वालियर शहर का अद्भुत नजारा देख सकते हैं। किले के अंदर कई मंदिर और महल हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध सास बहू का मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसके अलावा, मन मंदिर भी किले का महत्वपूर्ण हिस्सा है,
जिसे तोमर शासकों ने बनवाया था। इसकी चित्रकला इतनी अद्वितीय है कि इसे देखकर आप पुराने समय के कलाकारों की कुशलता का अंदाजा नहीं लगा पाएंगे। किले में एक महत्वपूर्ण गुरुद्वारा, ‘डाटा बंदी छोड़’ भी है, जो सिक्खों के लिए पवित्र स्थल है और यह गुरुद्वारा गुरु हरगोविंद सिंह जी को समर्पित है।
अगर आप ग्वालियर का किला घूमने जाना चाहते हैं, तो इसका समय सुबह 7:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक है। भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 75 रुपए है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत 250 रुपए है।
2. जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace) – gwalior me ghumne ki jagah
जय विलास पैलेस का निर्माण महाराज जय जी राम सिंधिया ने 1874 में कराया था। वर्तमान में, यह पैलेस सिंधिया परिवार का निवास स्थान है और यह लगभग तीन मंजिला है। पैलेस के एक हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है, जहां आपको विभिन्न प्रकार के हथियार और कलाकृतियां देखने को मिलेंगी, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहां एक विशाल झूमर भी है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा झूमर माना जाता है।
जय विलास पैलेस का खुलने का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक है। भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क केवल 100 रुपए है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत 600 रुपए है।
3. तानसेन का मकबरा (Tansen Tomb) – gwalior me ghumne ki jagah
अगर आप राजा अकबर के बारे में जानते हैं, तो आपने तानसेन का नाम भी जरूर सुना होगा। राजा अकबर ने अपने नवरत्नों में तानसेन को शामिल किया, जिन्हें संगीत का जादूगर माना जाता था। तानसेन का मकबरा ग्वालियर में स्थित है। उनके पास इतनी अद्भुत संगीत क्षमता थी कि वे अपने संगीत से वातावरण को बदल सकते थे।
तानसेन को राजा अकबर के नवरत्नों में से एक रत्न के रूप में चुना गया था, और उनके सम्मान में यह मकबरा बनाया गया। यदि आप ग्वालियर जाते हैं, तो आप यहां सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक घूम सकते हैं। इस स्थान पर घूमने के लिए किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं है।
4. मोती महल (Moti Mahal) – gwalior m ghumne ki jagah
मोती महल ग्वालियर के प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसका निर्माण माला जीवाजीराव सिंधिया ने कराया था। यह महल सिंधिया परिवार और अन्य राजाओं द्वारा सभा कक्ष के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। महल की दीवारों पर शानदार चित्रकला देखने को मिलती है, और जब आप इसके अंदर जाएंगे, तो आपको कई प्राचीन मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी।
महल की दीवारों पर भगवान कृष्ण और राधा की पेंटिंग भी बहुत आकर्षक हैं। मोती महल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, और इसकी स्थापना एक अनोखे अविष्कार की तरह है। यह स्थान पर्यटकों के लिए हमेशा एक पसंदीदा स्थान रहा है। अगर आप ग्वालियर जाते हैं, तो मोती महल जरूर देखें, क्योंकि यह ग्वालियर की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
5. गुजरी महल (Gujari Mahal) gwalior mein ghumne ki jagah
गुजरी महल को प्रेम की निशानी के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसका निर्माण राजा मानसिंह ने 15वीं शताब्दी में अपनी रानी मृगनयनी के लिए कराया था। बाद में इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जहां आप कई प्राचीन मूर्तियां देख सकते हैं, जो हिंदू और जैन धर्म से संबंधित हैं।
यह महल अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ जाकर आपको एक अद्वितीय अनुभव होगा। महल में घूमने का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक है, और शुक्रवार को यह बंद रहता है। यदि आप महल का दौरा करना चाहते हैं, तो आपको 20 रुपए का टिकट खरीदना होगा, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए शुल्क अधिक होता है।
ग्वालियर जाते समय गुजरी महल की यात्रा अवश्य करें, क्योंकि ऐसी ऐतिहासिक जगहें बार-बार देखने को नहीं मिलतीं। ग्वालियर का इतिहास भी काफी पुराना है, और यह स्थल भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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